बीकानेरNidarIndia.com भक्त प्रहलाद के जयकारों के साथ सोमवार शाम को दंभी होलिका का दहन किया गया।
वहीं भक्त प्रहलाद को अग्नि की लपटों से सुरक्षित निकाला गया। मान्यता के अनुसार परम्परागत रूप से होली का पर्व मनाया जा रहा है। सोमवार को होली का दहन हुआ। इसके बाद साधकों ने होलिका दहन स्थल के समीप ही मंत्र जाप, हवन किया। बिस्सा चौक में पंडि़त दुर्गादत्त व्यास और अमरचंद पुरोहित के सान्निध्य में हवन किया गया।
इसमें सांवरमल रंगा, गोपाल दास बिस्सा, शिवकुमार कल्ला, किशन गोपल रंगा, रामेश्वर लाल रंगा, चंद्रकिशोर सहित बड़ी संख्या में आस्थावान लोगों ने भागीदारी निभाई।
धुलंड़ी पर उड़ी गुलाल…
आज मंगलवार सुबह से ही रंग और गुलाल का गुब्बार शहर पर छाया है। लोगों में धुलंड़ी की मस्ती परवार पर है। होली रसिकों ने सुबह होलिका की राख(भस्मी) को अपने शरीर पर मला। उसके बाद रंग-गुलाल से होली खेली। पर्व को लेकर शहरभर में उत्साह और उमंग है। लोग रंगों से सराबोर है। एक दूसरे को गले लगाकार उसके गुलाल लगा रहे हैं। जगह जगह पर चाय, नाश्ता का दौर चल रहा है। वहीं होली की परम्परागत गेर भी भीतरी परकोटे में निकल रही है।
उठी उठी गवर निंदाड़ो खोल…
परम्परा के अनुसार धुलंड़ी के दिन से ही बालि गणगौर का पूजन बालिकाएं शुरू कर देती है। होली का दहन की भस्म(राख) से पिंड़ोलिया बनाकर घरों में छत पर गणगौर माता का पूजन विधिवत रूप से शुरू किया। यह पूजन एक पखवाड़े तक चलेगा। अंतिम दिन मेला भरेगा।
पुरुष मंड़लिया गाएंगी गीत…
आज शाम से ही शहर में गणगौर गीतों का आगाज भी हो जाएगा। इसमें पुरुष मंड़लियां गणगौर गीत गाएंगी। यह क्रम पूरे गणगौर पूजन तक चलेगा। इसमें श्रद्धालुओं के घरों में जाकर पुरुष मंड़लिया गणगौर गीतों की प्रस्तुतियां देंगे।