बीकानेरNidarIndia.com बीकानेरी होली की अपनी पहचान है। अपनी परम्परा है, मस्ती है। होलाष्टक के साथ ही भीतरी परकोटे में होली की रंगत धीरे-धीरे परवान चढ़ती है।
इस कड़ी में कई कार्यक्रम होते हैं। इसमें रियासतकालीन समय से चला आ रहा डोलची मार खेल ख्यातिनाम है। शनिवार को पुष्करणा समाज की हर्ष और व्यास जाति के बीच में डोलची मार खेल का आयोजन हर्षों के चौक में हुआ। इस दौरान प्रेम की मनुहार डोलची में पानी भरकर दूसरे साथी की पीठ पर उडेलने की परम्परा का निर्वाह किया गया। इस अनुठे खेल में कई परिवार ऐसे है जिनकी पीढिय़ों एक साथ मैदान में उतरती है।
इसमें फिर दादा-पोता, नाना-दोहिता हो, हर कोई पूरे उत्साह और उमंग के साथ पानी के खेल में भागीदार बनते हैं। ऐसा ही नजारा आज देखने को मिला, जब जस्सूसर गेट निवासी मदन व्यास अपने दोहिते सुरेंद्र हर्ष की पीठ पर पानी की डोलची मारकर बीते ५५ वर्षों से चली आ रही परंपरा का निर्वाह किया।
व्यास ने बताया कि इस खेल में वे इससे पहले अपने पिता फिर पुत्र और आज दोहिते के साथ हिस्सा लिया है, जो उमंग ओर उत्साह से भरपूर था। प्रेम और सौहार्द्र के इस खेल का अपना इतिहास रहा है जो पीढी दर पीढ़ी चलता आ रहा है।