साहित्य : अब हर साल होगा चिल्ड्रन लिटरेचर, जयपुर की तर्ज पर बीकानेर की पहचान बनेगा, बोले केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल... - Nidar India

साहित्य : अब हर साल होगा चिल्ड्रन लिटरेचर, जयपुर की तर्ज पर बीकानेर की पहचान बनेगा, बोले केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल…

बीकानेरNidarIndia.com अन्त्योदय नगर स्थित रमेश इंग्लिश स्कूल में चल रहे चिल्ड्रन लिटरेचर एंड कल्चर फेस्टिवल के दूसरे दिन बच्चों ने पहले रावण हत्थे से बातें की और बाद में केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल से संवाद किया।

उदयपुर से आई १० साल की हितिका ने अपने हुनर का कमाल दिखाया और किसी भी शब्द पर हाथों हाथ कहानी गढ़ दी। दूसरे दिन के सत्र में बच्चे उस समय झूम उठे जब जयपुर से आए गगन मिश्रा ने अपने अंदाज में ड्रामे की रिहर्सल शुरू की।

इस मौके पर केंद्रीय कला एवं संस्कृति मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने घोषणा करते हुए कहा कि जिस तरह जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल से जयपुर की पहचान बनी है, ठीक वैसे ही अब चिल्ड्रन लिटरेचर फेस्टिवल से बीकानेर की पहचान बनेगी।

उन्होंने कहा कि भविष्य में चिल्ड्रन लिटरेचर फेस्टिवल नियमित रहेगा और संगीत नाटक अकादमी हर साल इसे सहयोग देगी। उन्होंने फेस्टिवल में हिस्सा लेने वाले सभी बच्चों को दिल्ली में राष्ट्रपति से मुलाकात करवाने के साथ ही नए संसद का अवलोकन करवाने का वादा भी किया। इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने श्रीगंगानगर से आए बच्चों को जगजीत सिंह से जुड़े किस्से सुनाए और उनकी गजल भी सुनाई। इस दौरान मंच पर साहित्यकार अर्जुनदेव चारण और मधु आचार्य भी उपस्थित रहे। आयोजन सचिव सेणुका हर्ष ने आभार व्यक्त किया।

रावणहत्थे ने की बच्चों से बात

केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली के सहयोग से आयोजित रावणहत्था कार्यशाला में लोक कलाकार भंवर लाल ने रावण हत्था के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस तरह रावण हत्था बजाया जाता है और किस तरह बनता है। इस दौरान उन्होंने बच्चों के नाम पूछे और उसी नाम की आवाज रावण हत्था से निकाली। बच्चों ने बड़े रोमांच के साथ रावण हत्था से सवाल किए और भंवरलाल ने इसका जवाब रावण हत्था से आवाज निकालकर दिया। इस दौरान साहित्यकार व लोक समीक्षक हरीश बी. शर्मा ने बताया कि रावण हत्था मूल रूप से श्रीलंका का वाद्य यंत्र है। इसीलिए इसके नाम में रावण का जिक्र है।

अर्जुनदेव चारण से सीधा संवाद

इस दौरान संगीत नाटक अकादमी के उपाध्यक्ष व वरिष्ठ साहित्यकार अर्जुनदेव चारण ने बच्चों के साथ सीधा संवाद किया। चारण ने बच्चों को बताया कि जब शब्द नहीं थे, तब भी इंसान में भाव था। हमारी दादी-नानी शब्दों को नहीं जानती थी, इसका आशय ये नहीं कि उनके मन में भाव नहीं था। उन्होंने बच्चों को शब्दों और उनकी गरीमा को समझने की अपील की। इस सत्र का संचालन हरीश बी. शर्मा ने किया।

केरिकेचर के प्रति उत्साह

इस दौरान ड्राइंग क्लास में मोना सरदार डूडी और मुकेश जोशी सांचिहर ने कलाकारों के केरिकेचर बनाए। बाहर से आए अधिकांश कलाकारों ने अपने केरिकेचर बनवाएं। रावण हत्था कलाकार भंवरलाल जब बच्चों से इंटरेक्ट कर रहे थे तो डूडी ने उनका केरिकेचर तैयार कर दिया।

कथक की क्लास में गंभीरता

दूसरे दिन कथक की क्लास में अन्तरराष्ट्रीय नृत्यांगना वीणा जोशी ने ट्रेनिंग दी। इस दौरान सौ से ज्यादा बच्चों ने कथक में हिस्सा लिया। एक से सोलह तक स्टेप्स को सीखने के साथ ही बच्चों ने तीन दिनों के बाद भी इसे नियमित रखने की इच्छा जताई।

पुस्तक प्रदर्शनी में दिखाई रुचि

गायत्री प्रकाशन की पुस्तक प्रदर्शनी पर आज भी बच्चों की भीड़ रही। प्रदर्शनी के संयोजक आशीष पुरोहित ने बताया कि यहां देश के विभिन्न प्रकाशकों की ओर से प्रकाशित कृतियां रखी है, जिन्हें बच्चे पसंद करके खरीदने के लिए आर्डर कर सकते हैं।

कविता कहानी पर बात

कविता पर राजेश विद्रोही, सीमा भाटी और निकिता त्रिवेदी ने बात की। कहानी पर संगीता सेठी, संजय पुरोहित और ऋतु शर्मा ने बात की। लोक वाद्य कार्यशाला में कुणाल शर्मा ने ढोलक व हरमोनियम तथा संजय हर्ष ने नगाड़ा वादन की जानकारी दी। लोक कलाकार लक्षिता हर्ष और आशानन्द हर्ष ने भी नगाड़े व हारमोनियम के बारे में बताया। ड्रामा कार्यशाला में आशीष चारण, गगन मिश्रा, राहुल बोड़ा, सुनीलम् ने प्रशिक्षित किया।

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