बीकानेर : ब्रह्मलीन हुई एक बुलंद आवाज, नहीं रहे रम्मत के वरिष्ठ कलाकार आशानंद पुरोहित, कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति... - Nidar India

बीकानेर : ब्रह्मलीन हुई एक बुलंद आवाज, नहीं रहे रम्मत के वरिष्ठ कलाकार आशानंद पुरोहित, कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति…

बीकानेरNidarIndia.com ‘मोती तू क्यों अणभणों राखू नख रे बीच, सायबो माळे एक घड़ी, मैं माळू पल बीस…लोक नाट्य हड़ाऊ-मेहरी रम्मत के इस दोहे(बोल) को सुनकर होली पर बारहगुवाड़ चौक में मंचित होने वाले रम्मत में सैकड़ों की भीड़ तालियां से अभिनंदन करती थी, वो आवाज आज हमेशा के लिए शांत हो गई।

अपनी औजस्वी आवाज और बेहतरीन अभिनय के दम पर लोक नाट्य विधा हड़ाऊ मेहरी रम्मत की शान रहे वरिष्ठ कलाकार आशानंद पुरोहित (भैंरू)शनिवार को ब्रह्मलीन हो गए। हंसमुख, मिलनसार व्यक्तित्व के धनी आशानंद बीते तीस साल से इस रम्मत के अहम किरदार हड़ाऊ को मंच पर साकार करते थे।

साथी कलाकार बीआर सूरदासाणी के अनुसार अपने दादा भागीरथ पुरोहित के साथ आशानंद बचपन से ही इस रम्मत के मंच पर आता था, धीरे-धीरे उसमें रम्मत के प्रति लगाव हुआ और वो इस विधा में पूरी तरह से डूब गया।

यही नहीं रम्मत के गायन पक्ष में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहता था। वो प्रतिभावान कलाकार सभी के चहेते थे। लेकिन कहते है ईश्वर की मर्जी के आगे किसी का जोर नहीं चलता, शनिवार को वो घड़ी आ गई जब एक कलाकार, मृदुभाषी और सरल स्वाभाव के लिए पहचान रखने वाले आशानंद(भैंरू भा) इस जहां को हमेशा के लिए छोड़कर परमब्रह्म में लीन हो गए। भले ही आज वो इस जहां में नहीं रहे, मगर उनकी आवाज कला जगत के रसिकों के कानों में हमेशा गूंजती रहेगी। वहीं रम्मत के मंच पर सैदव चिरस्थायी याद बनी रहेगी।

गणगौर गीतों में खलेगी कमी…

आशानंद महज रम्मत ही नहीं, गणगौर गीतों के भी प्रमुख गायक थे। बीआर सूरदासाणी की गणगौर गीत मंडली के मुख्य गायक कलाकार थे। गणगौर माता के प्रति अटूट श्रद्धा-भक्ति भाव रखने के कारण आशानंद धुलंड़ी की शाम से ही गणगौर गीतों की पुरुष मंडली में सक्रिय भागीदारी निभाते थे। उनके देवगमन के बाद अब रम्मत के साथ ही गणगौर गीतों में भी उनकी कमी हमेशा खलेगी।

आशानंद का जाना अपूरणीय क्षति है…

आशानंद के निधन पर वरिष्ठ रम्मत कलाकार और उनके साथी बीआर सूरदासाणी ने शोक जताते हुए कहा कि वो ना केवल गणगौर गीत गायक, हड़ाऊ मेहरी के अभिनेता थे, बल्कि एक जीवंत व्यक्तित्व थे, उनका इस जहां से यूं चले जाना मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति तो है ही, पूरे जबरेश्वर नाट्य एवं कला संस्थान के लिए अपूरणीय क्षति रहेगी। खासकर गणगौर गीतों में सहायक गायक के रूप में, तो हड़ाऊ-मेहरी रम्मत में अभिनय और गायन दोनों में ही उनकी कमी महसूस करेंगे।

‘ऐसे अनुठे कलाकार, सादगी को जीवन में आत्मसात करने वाले आशानंद पुरोहित(भैंरू भा) को निडर इंडिया परिवार की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। ऐसी अनुठी प्रतिभा को शत-शत नमन।’

By-Ramesh Bissa , NidarIndia news

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