बीकानेरNidarIndia.com राजस्थानी शब्दकोष के रचयिता डॉ. सीताराम लालस की जयंती और पुण्यतिथि की पूर्व संध्या के अवसर पर बुधवार को सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट एवं राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय के संयुक्त तत्वावधान में संगोष्ठी आयोजित की गई।

पुस्तकालय परिसर में आयोजित कार्यक्रम में डॉ. ओमप्रकाश सारस्वत ने कहा कि डॉ. लालस ने दुनिया का सबसे बड़ा और समृद्ध शब्दकोष दिया। उनके योगदान को सदैव याद रखा जाएगा। डॉ. रेणुका व्यास ने कहा कि 11 खंडों में विभाजित राजस्थानी हिंदी वृहद कोष में लगभग ढाई लाख शब्दों के अलावा, 15 हजार से अधिक मुहावरे एवं कहावतें संकलित की गई। यह उनकी 40 साल की साधना का परिणाम है।
‘राजस्थानी रै बधेपे मायं डॉ. लालस रो योगदान’ विषयक संगोष्ठी के मुख्य वक्ता डॉ. नमामी शंकर आचार्य ने लालस के जीवन से जुड़े विभिन्न प्रसंगों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने लालस को वर्ष 1977 में पद्मश्री से अलंकृत किया। राजेंद्र जोशी ने कहा कि राजस्थानी भाषा और साहित्य के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वालों की स्मृति में वर्ष भर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

पुस्तकालय अध्यक्ष विमल कुमार शर्मा ने स्वागत उद्बोधन दिया। डॉ. गौरी शंकर प्रजापत ने आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन हरि शंकर आचार्य ने किया। इस अवसर पर राजा राम स्वर्णकार, सुधीर मिश्रा सहित विद्यार्थी मौजूद रहे।

