बीकानेर.
राजस्थान के थार मरुस्थल में स्थित भारतीय सेना की महाजन फील्ड फायरिंग रेंज सोमवार से टैंक के धमाकों से गूंज उठी। जवानों ने दमखम दिखाते हुए सहास का परिचय दिया।
अवसर था भारतीय थल और वायु सेना के संयुक्त सैन्य अभ्यास का। इस दौरान सेना की दक्षिण पश्चिमी कमान ने दुर्गम संयुक्त फायर पावर का परिचय देते हुए अभ्यास ‘शत्रुनाश’ को अंजाम दिया। इस एकीकृत सैन्य अभ्यास में भारतीय सेना के साथ-साथ वायुसेना भी शामिल थी, जिसमें जमीनी और हवाई दस्तों का इस्तेमाल करते हुए एकजुट तरीके से विभिन्न फायरिंग प्लेटफॉर्म्स का उपयोग किया गया।
आज के आधुनिक समय में मौजूद नवीन तकनीकों को मद्देनजर रखकर व्यापक और उभरते खतरों को दूर करने के लिए सेना द्वारा इस अभ्यास में अलग-अलग गतिविधियों को दर्शाया गया, जिसमें दुश्मन के इलाके में स्पेशल फोर्स गुप्त रूप से घुसकर आक्रामक जमीनी कार्यवाही करता है और लडाई के हालत और युद्ध की गतिविधियों को सभी दस्तों के साथ साझा करने का अभ्यास भी किया गया।
इस सैन्य अभ्यास के दौरान संयुक्त दस्तों और उपकरणों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया, जिसमें भीष्मा ( टी-90टैंक), अजेया (के-72टैंक), के9 वज्र और शरंग आर्टीगन स्पेशल फोर्स भारतीय वायुसेना के आधुनिक फाइटरजेट्स और आर्मी एविएशन के एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर (रुद्रा) भी शामिल हुए। सैनिकों के आला दर्जे के प्रशिक्षण और तालमेल की सराहना करते हुए जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ, सप्त शक्ति कमान, लेफ्टिनेंट जनरल ए एस भिंडर ने विभिन्न कॉम्बैट और कॉम्बैटस पोर्ट दस्तों को शाबाशी दी।
उन्होंने ‘आत्मनिर्भर भारत’ या ‘मेक इन इंडिया’ के तहत शामिल की गई स्वदेशी प्लेटफॉर्म्स एवं उपकरणों की भी सराहना की। इसके अलावा जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ ने भविष्य में बदलते हुए हालात को मद्देनजर रखते युद्ध को सुचारू रूप से लडऩे के लिए खुद की क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ संयुक्त युद्ध अभ्यास में महारत हासिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया। जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ ने सभी प्रतिभागियों को उच्च स्तर का प्रदर्शन करने के लिए बधाई दी और बेहतर ऑपरेशनल तैयारियों की दिशा में प्रयास करने का आवाहन किया।