कला जगत : लोगों को हंसाना मुश्किल है, रोने-धोने के रोल से ज्यादा कठिन होता है कॉमेडी करना, बीकानेर में बोले भाभीजी घर पर है फेम अभिनेता 'किशोर भानुशाली', पढे पूरी खबर, देखें वीडियो... - Nidar India

कला जगत : लोगों को हंसाना मुश्किल है, रोने-धोने के रोल से ज्यादा कठिन होता है कॉमेडी करना, बीकानेर में बोले भाभीजी घर पर है फेम अभिनेता ‘किशोर भानुशाली’, पढे पूरी खबर, देखें वीडियो…

बीकानेरNidarIndia.com फिल्म अभिनेता ‘किशोर भानुशाली’ का कहना है कि आज के दौर में लोगों को हंसाना बहुत मुश्किल भरा काम है। बुधवार को बीकानेर आए कलाकार ने सागर होटल में ‘निडर इंडिया’ के सम्पादक रमेश बिस्सा के साथ खास बातचीत की।

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इस दौरान उन्होंने अभिनय के कई पहलुओं पर प्रकाश डाला, फिल्म जगत में अपने दो दशक के संघर्ष पर भी बात की। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस बात में कोई शक नहीं है कि आज छोटा पर्दा भी अपनी प्रतिभा दिखाने का सशक्त माध्यम बन गया है, लेकिन एक बात का मलाल होता है कि आज टीवी सीरियलों में अधिकांश कहानियां गंभीरता के नाम बस ‘रोना-धोना, सास-बहू, उलझते रिश्ते, टूटते रिश्ते सरीखी कहानियां परोसी जा रही है, जिनका कहीं न कहीं समाज पर विपरित असर पडता है, मगर इसी दौर में कॉमेडी नाटक भी आ रहे हैं, जो लोगों को गुदगुदाने में कामयाब है, जिससे लोग अच्छा सुकून महसूस करते हैं।

भानुशाली ने कहा कि भाभीजी घर पर है और हप्पू की उलटन पलटन सरीखी हल्की-फुलकी कॉमेडी से भरे सीरियल देखने पर लोगों को नयापन भी मिलता है, चुटकी लेते हुए वहीं दूसरी ओर कई ऐसे सीरियल है, जो सिवाय विखंडन और उलझे से रिश्तों पर ही केन्द्रीत रहते है, जो बेहद बोझिल भी होता जाता है। ऐसे सीरियलों की कहानियां लिखना कोई कठिन नहीं है, असल में तो कॉमेडी रोल लिखना, फिर से निभाना सबसे अधिक मुश्किल भरा होता है, क्योंकि जो पर्दे पर आप प्रजेन्ट करते हैं, लोग उसे देखकर हंसने पर मजबूर होते है, यही उद्देश्य है। जीवन में आज के दौर में हंसी-खुशी की आवश्यकता है।

20 साल किया है संघर्ष…

गुजरात के कच्छभुज से ताल्लुख रखने वाले किशोर भानुशाली का जन्म मुम्बई में हुआ था, वो बताते है कि बचपन से फिल्मों का शौक था, छोटे थे तो थियटर में फिल्म देखने के लिए पैसे नहीं होते थे, ना ही पिताजी की इजाजत होती थी, लेकिन मन में शौक पल रहा था, फिर धीरे-धीरे गाने-बजाने का शौक जगा तो स्टेज शो करने लगे, वीडियो शूट करते थे, देवानंद से शक्ल कफी मिलती थी, तो उनकी मिमिक्री शुरू कर दी, पढाई भी जारी रखी। संघर्ष के बारे में पूछा तो चेहरे पर थोडी गंभीरता का भाव लिए तपाक से कहा’भाई २० साल तक मुम्बई में ही संघर्ष किया है, लेकिन उसके बाद ही काम मिला…तब तक वैसे ही शौक पूरा करते थे, पैसे नहीं मिलते थे।

पहला ब्रेक ‘दिल’ से

भानुशाली ने बताया कि उन्हें फिल्मों में पहला ब्रेक आमिर खान अभिनीत फिल्म दिल से मिला, इस फिल्म ने उनका जीवन ही बदल दिया, पहली ही फिल्म में बेस्ट स्पोटिंग एक्टर का पुरस्कार मिला, हंसते हुए बताते है कि संघर्ष के दौर में अभिनंता शत्रुघन सिन्हा से काफी प्रोत्साहन, सहयोग मिला। भानुशाली ने बताया कि दिल के बाद उन्होंने पीछे मुडकर नहीं देखा, करीब १५० फिल्में की है। इसमें राजस्थानी, हिन्दी, भोजपुरी शामिल है, इसके बाद कई टीवी सीरियल में काम कर चुके हैं, वर्तमान में दो धारावाहिक’एण्ड टीवी’पर प्रसारित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में लगातार शूटिंग है, इस कारण समय नहीं मिल पा रहा है, आने वाले दिनों तीन फिल्में फ्लोर पर है, जिनकी शूटिंग शुरू करनी है।

राजस्थान का हेरिटेज लुभाता है…

किशोर भानुशाली ने बताया कि उन्हें राजस्थान सदैव अपनी और खींचता रहा है। यहां का हेरिटेज बहुत ही चिताकर्षक है, हेवेलियां, किले, महल, झीले बहुत शानदार है, वहीं यहां की मीठी भाषा, उच्च संस्कृति , अतिथि सत्कार भी लाजवाब है। उन्होंने बताया कि वे बीकानेर पहली बार आए हैं लेकिन राजस्थान के कई शहरों में पहले जा चुके हैं।

गुरुजी का आशीर्वाद मिलेगा…


बीकानेर में गोकुल सर्किल स्थित पंडित मनमोहन किराडू की तपोस्थली शिवशक्ति साधनपीठ में भैरवाष्टमी के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आए किशोर भानुशाली ने बताया कि वे पंडित प्रदीप किराडू का आभार जताते है कि जिन्होंने आज इस पावन धरती पर, इतने पावन धार्मिक कार्यक्रम में आने का उन्हें न्यौता दिया, भानुशाली ने कहा कि इसके जरिए उन्हें गुरुजी मनमोहन किराडू की तपोस्थली के दर्शन हुए है, बाबा भैरवनाथ के धोक लगाई है, सभी काम शुभ मंगल होंगे।

 

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