बीकानेरNidarIndia.com राजस्थान ललित कला अकादमी की ओर से शनिवार को ढोला मारु में तीन दिवसीय मरु चित्रकार शिविर का आगाज किया गया।




इस मौके पर कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने कहा कि कला, साहित्य और संस्कृति के बिना मनुष्य पशु तुल्य होता है। उन्होंने कहा कि राजस्थान के लोग संगीत, कला और साहित्य की पहचान सकते हैं। बीकानेर भी कला और संस्कृतिधर्मी शहर है। यहां के अनेक कलाकारों और कलमकारों ने देश-विदेश में बीकानेर का नाम रोशन किया है।
उन्होंने कहा कि राजस्थान ललित कला अकादमी की ओर से यह चौथा संभाग स्तरीय शिविर आयोजित किया जा रहा है। अकादमी का प्रयास रहेगा कि संभाग के साथ जिला स्तर पर भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएं और प्रतिभाशाली कलाकारों को आगे आने का अवसर दिया जाए। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण के बुरे दौर में राज्य सरकार ने 12 हजार कलाकारों को आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई थी। उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक लोग इन चित्रों का अवलोकन करें।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक गौरव अग्रवाल ने कहा कि शिक्षा और कला एक दूसरे के पूरक है। शिक्षा विभाग भी कलाकारों को प्रोत्साहित करने में अपनी भागीदारी निभाएगा। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले प्रतिभावान बच्चे आगे आएं, ऐसे प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से लागू ‘नो बेग डे’ ऐसे प्रतिभाशाली बच्चों को आगे लाने में प्रभावी साबित हो रहा है। बाल सभाओं में बच्चों की प्रतिभा सामने आ रही है।

राजस्थान ललित कला अकादमी के अध्यक्ष लक्ष्मण व्यास ने कहा कि अकादमी द्वारा ऐसे कार्यक्रमों में अधिक से अधिक कलाकारों को जोडऩे के प्रयास होंगे। सचिव रजनीश हर्ष ने बताया कि तीन दिवसीय शिविर के दौरान 19 चित्रकार बीकानेर की कला संस्कृति और परंपराओं पर आधारित चित्र बनाएंगे। इस अवसर पर डॉ.कल्ला ने कैनवास पर पेंटिंग करते हुए शिविर का उद्घाटन किया। उन्होंने शिविर में भागीदारी निभाने वाले सभी चित्रकारों का सम्मान किया। इस दौरान कला मर्मज्ञ महावीर स्वामी, डॉ.इंद्र सिंह राजपुरोहित, चंद्रशेखर, राजेंद्र जोशी सहित अनेक लोग मौजूद रहे।
