बीकानेरNidarIndia.com देवउठनी अथवा प्रबोधिनी एकादशी शुक्रवार को मनाई जाएगी। शास्त्रों की मान्यता अनुसार चार माह के विश्राम के बाद भगवान विष्णु इस दिन नींद से जागेंगे, इस कारण कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष एकादशी को देवउठनी कहते हैं।




इसी दिन से मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी। चार नवम्बर को विवाह समारोह की धूम रहेगी, लंबे अन्तराल के बाद शादी-विवाह समारोह हो रहे है, शहर में माली समाज, पीपा क्षत्रिय समाज के सामूहिक विवाह समारोह आयोजित किए जाएंगे। इसको लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही है।
ज्योतिबा फूले भवन में होगा सामूहिक विवाह…
पीपा क्षत्रिय सामूहिक विवाह समिति की ओर से शिववैली में स्थित ज्योतिबा फूले भवन में सामूहिक विवाह समारोह आयोजित किया जाएगा। इसको लेकर रस्में निभाई जा रही है, वैवाहिक स्थल दावत सहित अन्य तैयारियां चल रही है, समिति के भंवरलाल बडगुर्जर ने बताया कि पीपी क्षत्रिय समाज का छठा सामूहिक विवाह समारोह चार नवम्बर को शिव वैली स्थित ज्योतिबा फूले भवन में आयोजित होने जा रहा है। इसकी तैयारियां पूरी कर ली गई हैै। इसमें तुलसी एवं शालिग्राम सहित कुल 13 जोड़े वैवाहिक बंधन में बंधेगें। वैवाहिक कार्यक्रम आडम्बर रहित, सादगीपूर्ण तरीके से किए जाएंगे। आयोजन को लेकर उपाध्यक्ष रामराज टाक, सचिव राजकुमार कच्छावा, कोषाध्यक्ष शिवदयाल तंवर, राजेन्द्र बडगुजर, धनराज कच्छावा, भीमराज बडगुजर, पूनमचंद कच्छावा, बाबूलाल सोलंकी, भीमराज टाक, राजेन्द्र बडगुजर(मयूर) आदि भागीदारी निभा रहे हैं।


माली सैनी समाज का सामूहिक विवाह…
माली सैनी समाज का सामूहिक विवाह समारोह चार नवम्बर को गोपेश्वर बस्ती स्थित शिव पार्वती मंदिर माली समाज भवन आयोजित होगा। इस समारोह की तैयारियां पूर्ण कर ली गई है, इसमें ११ जोड़े का विवाह बंधन में बंधेंगे। सामूहिक विवाह में शामिल होने वाले वर व वधू के हाथधान का कार्यक्रम उनके निवास स्थान पर पंडित के सानिध्य में मंत्रोच्चार के साथ बुधवार को हुआ आयोजन को लेकर अध्यक्ष अशोक कुमार कच्छावा,सचिव राजकुमार खडग़ावत,प्रभारी कोषाध्यक्ष हुकमचन्द कच्छावा,ओमप्रकाश पंवार,कन्हैया लाल भाटी
बलवीर सांखला,नारायण भाटी, बंशीलाल गहलोत, जुगल किशोर सोलंकी, मुरली, प्रेम कुमार गहलोत,आनंद सिंह गहलोत, श्याम गहलोत, रविकांत भाटी, तुलछाराम पंवार,किशोर पंवार, खेमराज तंवर, मूलचंद गहलोत, सांगीलाल गहलोत सहित सदस्य और पदाधिकारी आयोजन को लेकर भागीदारी निभा रहे हैं।
इसलिए है खास..
पंडित अशोक बिस्सा के अनुसार कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष एकादशी को देव उठनी एकादशी, प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस एकादाशी को भगवान विष्णु चार माह की निंद्रा के बाद जागते हैं, ऐसी मान्यता शास्त्रों में है, इस कारण इसी दिन से शुभ मंगल कार्य शुरू हो जाते हैं। मंदिरों में दीपदान का महत्व है, साथ ही चार प्रहर की आरती की जाती है, भक्ति जागरण होता है, तुलसी-सालिगराम विवाह की भी परम्परा निभाई जाती है।
