बीकानेरNidarindia.com श्री जैन तपागच्छ श्रीसंघ की ओर से आयोजित चातुर्मासिक प्रवचन की शृंखला में मंगलवार को साध्वी सौम्यदर्शना ने प्रसंगों की व्याख्या की।
उन्होंने कहा कि ज्ञान केवल डिग्री तक ही नहीं आचरण में भी हो। अनुभव भरा ज्ञान हमारे में जीवन को निखारता है। सौम्यदर्शना ने कहा कि त्याग में जो आनन्द है वह भोग में नहीं है। भोग हमारे बंधन को बढ़ाता है, वर्तमान में हर कोई किसी न किसी बंधन में बंधा है।
संसार और संसार के पदार्थों के प्रति राग रहेगा, रुचि रहेगी तो बंधन में बंधे रहोगे। साध्वी ने कहा कि पुण्य से जो हमें सुनने की, देखने की, चलने की शक्ति मिली है उसका उपयोग प्रवचन सुनने, पुण्य करने में करें। व्यर्थ निंदा व प्रमाद करके समय व शक्ति को न गवाएं। जिसको धर्म के प्रति रुचि होती है उसे धर्म कभी भार नहीं लगता। आज की संघ पूजा का लाभ संपतलाल सुशील कुमार कोचर परिवार ने लिया।